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पौधे के महत्वपूर्ण घटक: सकारात्मक और हानिकारक प्रभाव 🌱

पौधों को उचित विकास, उपज और गुणवत्ता के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। प्रकृति में 16 प्राकृतिक तत्व हैं, जो पौधों के चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पोषक तत्वों की कमी के कारण, वे जीवन चक्र पूरा नहीं कर पाते है और इसलिए पौधों के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व माना जाता है।

इन आवश्यक पोषक तत्वों को उनकी उपयोग या आवश्‍यकता के अनुसार विभाजित किया गया है, जैसे
वे प्राकृतिक रूप से हवा और पानी में पाए जाते हैं: कार्बन, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन


भूमि में उपलब्ध:
A ) मुख्‍य: नाइट्रोजन, फॉस्‍फोरस, पोटेशियम
B ) दूसरा: कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर

सुखम पोषक तत्व: आर्यन, कॉपर, ज़िंक, बोरॉन, मैगनीज, मोलिब्डेनम और क्‍लोरीन
ये पोषक तत्व परस्पर क्रिया करके पौधों पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालते है। पौधों की वृद्धि पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव मुख्य रूप से मिट्टी के प्रकार, पीएच, ईसी, ऑर्गेनिक कार्बन जैसे मिट्टी की गुणवत्ता मापदंडों पर निर्भर करता है। इसके अलावा, यह मिट्टी के अन्य बुनियादी गुणों जैसे भौतिक, रासायनिक और जैविक पर भी निर्भर करते हैं। पोषक तत्वों के स्रोत जैसे रासायनिक/जैविक उर्वरक, मात्रा एवं गुणवत्ता, प्रयोग की विधि, मौसम, तापमान, आदि क्या यह महत्वपूर्ण हैं। पोषक तत्वों के बीच तालमेल को कई कृषिविदों द्वारा मान्यता दी गई है, जिनमें से कुछ में शामिल हैं।

सकारात्मक प्रभाव
नाइट्रोजन की पर्याप्त आपूर्ति यह सुनिश्चित करती है कि मिट्टी में पोटेशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और लौह, मैंगनीज, सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे की आयरन, मेगनीज और ज़िंक अच्छे से मिल सकती है।
कॉपर और बोरॉन – पौधों द्वारा नाइट्रोजन ग्रहण में सुधार करता है।
मोलिब्डेनम- – नाइट्रोजन क्षमता बढ़ाता है और फॉस्फोरस की उपलब्धता बढ़ाता है।
कैल्शियम और झिंक – फॉस्फोरस और पोटेशियम के उत्सर्जन में सुधार करता है।
सल्फर-मैंगनीज और झिंक की उपलब्धता में सुधार करता है।
मैगनीज- – कॉपर की उपलब्धता बढ़ाता है।

नकरात्मक प्रभाव
नाइट्रोजन की अधिकता से फॉस्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, ज़िंक और कॉपर की उपलब्धता कम हो जाती है।
फास्फोरस की अधिकता से आयरन, मैंगनीज, ज़िंक और कॉपर की उपलब्धता कम हो जाती है।
उच्च पोटेशियम का सेवन मैग्नीशियम और कैल्शियम के उपयोग को कम करता है।
अधिक कैल्शियम के सेवन से जिंक की उपलब्धता कम हो जाती है।
आयरन का अधिक सेवन जिंक की उपलब्धता को कम कर देता है।
जिंक का अधिक सेवन मैंगनीज की उपलब्धता को कम कर देता है।

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